भगवान परशुराम प्राकट्योत्सव : धूमधाम से निकाली गई भगवान परशुराम की भव्य शोभायात्रा, झांकी बनी आकर्षण का केंद्र,उमड़े लोग,दिखी अटूट श्रद्धा

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खेरवाड़ा। जय परशुराम लिखी भगवा ध्वजाएं थामे युवकों के साथ जब बड़ी संख्या में विप्र महिला-पुरुष पारंपरिक परिधान में कस्बे की सड़कों से गुजरे तो माहौल धर्ममयी नजर आया। बच्चे,युवा, महिला और बुजुर्ग समूह में सस्वर ‘जब जब ब्राह्मण बोला है, राज सिंहासन डोला है’ तथा भगवान के जयकारों के साथ कस्बे के प्रत्येक मार्ग में देशभक्ति के नारे से गुंजायमान कर दिया।विप्र प्रवक्ता जयेश व्यास ने बताया कि भगवान विष्णु के छठे अवतार राज राजेश्वर भगवान परशुराम प्राकट्योत्सव के उपलक्ष्य में विप्र फाउंडेशन की ओर से कस्बे में शाम को 4 बजे भव्य शोभायात्रा श्री राम मंदिर से बैंड़ बाजे एवं झांकियों के लवाजमें के साथ धूमधाम से निकाली गई तो कस्बे का माहौल भक्तिमय हो गया। इससे पूर्व वैदिक रीति से पूजन पंचामृत स्नान,षोडशोपचार पूजन, वस्त्र,पुष्पमाला,तुलसी जल अर्पण कर विधि-विधान वेदाचार्य महाआरती से ब्राह्मण समाज ने अपने आराध्य देव का स्तवन किया। मार्ग में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने स्वागत द्वार,पुष्प वर्षा, मिठाई, शर्बत,जलपान आदि से शोभायात्रा का स्वागत किया।देर शाम शोभायात्रा आजाद चौक,निचला खेरवाड़ा,शक्ति नगर,विवेकानंद चौराहा, पुराना बस स्टैंड,मोचीवाड़ा एवं दर्जीवाडा से होते हुए पुनः श्री राम मंदिर पहुँची । शोभायात्रा में भगवान परशुराम की जीवंत झांकी व बग्गी में विराजमान भगवान परशुराम आकर्षण का केंद्र रहे,जिन्होंने क्षेत्र वासियों का मन मोह लिया। शोभायात्रा देखने के लिए नगर में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान मार्ग में आतिशबाजी भी हुई । पुरुष श्वेत परिधान पहने तथा महिलाएं लाल साड़ी पहने आकर्षण का विशेष केंद्र रहे । महिला संकीर्तन मंडलियां शोभायात्रा के दौरान कीर्तन करते चल रही थीं । शोभायात्रा के दौरान धर्म सभा को संबोधित करते हुए विप्र तहसील अध्यक्ष हितेश जोशी ने विप्र समाज को भगवान परशुराम गौ- माता, माता-पिता और राष्ट्र सेवा का संकल्प दिलाया ।उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम जी समस्त सनातन जगत के आराध्य हैं।हर युग में भगवान परशुराम जी ने समाज में सामाजिक न्याय एवं समानता की स्थापना के लिए अपना अतुलनीय योगदान दिया।अष्ट चिरंजीवियों में शामिल भगवान परशुराम जी कलियुग में होने वाले भगवान के कल्कि अवतार में उन्हें वेद-वेदाङ्ग की शिक्षा प्रदान करेंगे। साथ ही कोई भी कर्म जो जन-कल्याण की भावना से किया जाता है, वह यज्ञ स्वरूप हो जाता है और इससे धर्म की प्रतिष्ठा होती है। कोई भी पुराण भगवान परशुराम जी के पावन चरित्र के बगैर पूर्ण नहीं होता। तत्पश्चात महाप्रसादी हुई। शोभायात्रा में उदयपुर से विफा युवा प्रकोष्ठ पदाधिकारी,ऋषभदेव,डूंगरपुर,महूदरा,सुन्दरा,छाणी,थाणा,सरेरा,नयागांव,पहाड़ा,दैयावाडा, रेहटा,बरोठी ब्राह्मण,पगारा,कल्याणपुर,भूधर,पादेडी,झुथरी,जवास,बिलेटी,कटेवडी,कारछा,बलेवड़ी,करावाड़ा,आड़ीवली,घोडी,मांडवा,चिकला व बावलवाड़ा से भी कई विप्र बंधु सम्मिलित हुए।

रिपोर्टर नारायण सेन

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