उदयपुर। जिलें में “आओ मंदिर चलें” भक्ति आंदोलन समय-समय पर मंदिरों तथा सनातन संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु विभिन्न रचनात्मक कार्य करता रहता है। इसी क्रम में एक
नवीन एवं अभिनव पहल आंदोलन की टोली द्वारा प्रारंभ की गई है। अक्सर देखा जाता है कि व्यक्ति वर्षों तक जिन तस्वीरों व मूर्तियों की श्रद्धा-पूर्वक पूजा करता है उनके पुराने हो जाने पर उन्हें मंदिरों की दीवारों या चबूतरों पर छोड़ आता है। इन छोड़ी गई मूर्तियों व तस्वीरों पर धूल मिट्टी धूप और वर्षा का पानी गिरता है जिससे वे और अधिक खंडित एवं अपमानित स्थिति में पहुंच जाती हैं। यह दृश्य न केवल दुखद होता है, बल्कि श्रद्धा
और संस्कृति दोनों के अपमान जैसा प्रतीत होता है। इस समस्या के समाधान हेतु “आओ मंदिर चलें” अभियान की टोली ने यह संकल्प लिया है कि ऐसी उपेक्षित तस्वीरों व मूर्तियों को एकत्र कर, उनमें से जो अखंडित हैं उन्हें पुनः रंग-रोगन व फ्रेमिंग कर आकर्षक स्वरूप प्रदान किया जाएगा। इसके पश्चात इनका एक भव्य प्रदर्शनी के माध्यम से आयोजन कर इन्हें भक्तों को भेंट किया जाएगा। वहीं जो खंडित मूर्तियाँ होंगी उनका विधिवत धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार विसर्जन किया जाएगा। इसका एक उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब एक मंदिर में पंचमुखी हनुमान जी की एक पुरानी प्रतिमा को कोई व्यक्ति छोड़ गया। इस मूर्ति को आंदोलन से जुड़े भक्त ललित लोहार ने अपने घर ले जाकर उसे श्रमपूर्वक पुनः रंग-रोगन कर सुंदर
स्वरूप प्रदान किया। अब तक सैकड़ों की संख्या में पुरानी तस्वीरें एवं मूर्तियाँ टोली के भक्त अंबालाल मेनारिया व देवेंद्र छाजेड़ के पास एकत्र की जा चुकी हैं जिनका वे पुनः संरक्षण कर रहे हैं। यह अभियान एक अनूठी श्रद्धा और सेवा का उदाहरण है जो सनातन परंपराओं के सम्मान की दिशा में प्रेरणादायक पहल है
रिपोर्टर नारायण सेन
