सांसद रावत की आपत्ति पर राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल की कक्षा 9 की पुस्तक से हटेंगे

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उदयपुर सलूंबर सांसद रावत की आपत्ति पर राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल की कक्षा 9 की पुस्तक से हटेंगे गंभीरता से लेते हुए प्रारंभिक विभाग को पाठ्यक्रम में गलत तथ्य आयपुर | सांसद डॉ. मनालाल रावत

ने इसे ने राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक शिक्षा मंडल जयपुर द्वारा कक्षा 9 के लिए प्रकाशित पुस्तक में मानगढ़ धाम के संत गोविंद गिरी जी महाराज के अलग भील राज्य बनाने के लिए प्रेरित होने संबंधी गलत टिप्पणी प्रकाशित किए जाने को लेकर गहरी आपत्ति व्यक्त की है। सांसद डॉ. रावत ने इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा। मुख्यमंत्री कार्यालय आवश्यक संशोधन के निर्देश दिए हैं। पत्र में सांसद डॉ रावत ने बताया कि कक्षा 9 की पुस्तक राजस्थान का स्वतंत्रता आंदोलन एवं शौर्य परंपरा’ के अध्याय 4 में पृष्ठ संख्या 42 पर लिखा है कि सामंती एवं औपनिवेशिक सत्ता द्वारा उत्पीड़क व्यवहार ने गोविंद गिरी एवं उनके शिष्यों को सामंती व औपनिवेशिक दारता से मुक्ति प्राप्त करने हेतु भील राज्य की स्थापना की योजना बनाने की ओर प्रेरित किया। सांसद रावत ने मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि पुस्तक में प्रकाशित उक्त कथन पूर्णतः तथ्यों से परे है। मूलतः यह आंदोलन राष्ट्रीय चेतना जागरण का आंदोलन था, जिसे संत गोविंद गिरी जी ने संप सभा का गठन कर के अहिंसक तरीके से शुरू किया। वे तो अपने अनुयायियों के साथ पूर्णिमा के दिन मानगढ़ धाम पर हवन कर रहे थे। आदिवासी समाज के लोग वहां अपनी आस्था के अनुसार आहुति देने के लिए घी व श्रीफल लेकर पंहुचे थे। उसी दिन 17 नवंबर 1913 को अग्रेनी सेना ने इस आंदोलन को समाप्त करने के लिए क्रांतिकारियों का जघन्य नरसंहार किया। इस के बाद संत गोविंद गिरी जी को गिरफ्तार कर आजीवन कारावास व उनके एक साथी पूंगा धीरा भील को कालेपानी की सजा सुनाई। राजद्रोह का फर्जी मुकदमा दर्ज करने के लिए रिकॉर्ड में भील राज्य स्थापना की झूठी टिप्पणी लिखी अंग्रेजों ने संत गोविंद गिरी जी के विरुद्ध राजद्रोह का फर्जी मुकदमा दर्ज करने के लिए इस घटनाक्रम में अपने रिकॉर्ड में झूठा तथ्य अंकिल किया। भीलराज स्थापना की टिप्पणी जबरन लिखवाई। पत्र में लिखा कि इस टिप्पणी को उल्लेखित पेरा के रूप में पढ़ाया जाना सकल राष्ट्रीय चेतना के विरुद्ध है। इसे अक्षररक इसी रूप में नहीं लेना चाहिए। इस विषय पर विशेषज्ञों के शोधपत्रों एक तथ्यों को लेते हुए पाठ्य पुस्तक उक्त टिप्पणी को संशोधित किय जाना आवश्यक है।

संवाददाता विनोद गर्ग

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